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हिंदी दिवस की कविताएं


कविता-- जन्म जरा और मृत्यु

मृगमरीचिका है यह संसार
नहीं है कुछ भी इसका आधार।

मायमोह के बंधन सारे
कटते नहीं ये बंध प्यारे।

इस जहाज के पंछी को उड़ जाना है
न जाने फिर कहाँ डेरा डालना है।

नैतिकता का ही होगा मूल्यांकन
उस परम धाम तक जाना है।

***
सीमा..✍️💕
©®
#हिंदी दिवस प्रतियोगिता



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6 Comments

बहुत ही दार्शनिक सृजन,,, मायामोह होना चाहिए जी

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Swati chourasia

20-Sep-2022 07:57 PM

बहुत खूब 👌

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Gunjan Kamal

19-Sep-2022 12:52 PM

शानदार

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